Stamp Duty and Registration Charges 2024: जब कोई व्यक्ति जमीन या किसी संपत्ति को खरीदता है, उसे वह संपत्ति अपने नाम पर ट्रांसफर करने के लिए रजिस्ट्री करवानी होती है | इसके लिए उसे राजस्व विभाग के रजिस्टार कार्यालय में जाना पड़ता है और वहां Stamp Duty और Registration Charges भुगतान करना पड़ता है | रजिस्ट्री करवाने के बाद, संपत्ति उसके नाम पर स्थायी रूप से होती है और वह उसका स्वामी बन जाता है | इसके अलावा, जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार की संपत्ति को उपहार में प्राप्त करता है या अपनी संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अदलाबदली करता है, तो भी उसे रजिस्ट्री करवानी पड़ती है |
जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को खरीदता है, तो उसे उस संपत्ति को अपने नाम पर करने के लिए रजिस्ट्री करवानी पड़ती है | रजिस्ट्री करवाने के समय सरकार को रजिस्ट्री शुल्क और स्टैम्प ड्यूटी के रूप में शुल्क देना पड़ता है | इस शुल्क की गणना MVR (Minimum Value Register) के आधार पर की जाती है। इसे संपत्ति के सर्किल रेट भी कहा जाता है |
MVR दर राजस्व विभाग या स्थानीय विकास प्राधिकरण द्वारा निर्धारित की जाती है, जो कि एक ही क्षेत्र में भिन्न-भिन्न हो सकती है | सर्किल दर का निर्धारण भूमि या प्रॉपर्टी के विभिन्न प्रकार और सुविधाओं पर निर्भर करता है, जैसे की कमर्शियल एन.एच., दो फसला, रेजिडेंशियल ग्रामीण रोड, एक फसला कमर्शियल, कमर्शियल ग्रामीण रोड, रेजिडेंशियल, दीयार, धनहार इत्यादि |
स्टाम्प ड्यूटी होता क्या हैं?
भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के अनुसार, स्टाम्प ड्यूटी कोई सम्पति या प्रॉपर्टी की खरीद पर या जब किसी अन्य के नाम पर किसी सम्पति या प्रॉपर्टी को स्थानांतरित किया जाता है, सरकार द्वारा लगाया जाता है | यह ड्यूटी उस समय लागू होती है जब आप किसी सम्पति या प्रॉपर्टी को राजस्व विभाग के कार्यालय में पंजीकृत कराते हैं | उस पंजीकरण के दस्तावेज़ पर आपको स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना पड़ता है |
अगर आप स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क को सरकार के राजस्व विभाग को भुगतान करके ज़मीन का पंजीकरण कराते हैं, तो वह पंजीकरण दस्तावेज़ आपको उस ज़मीन के कानूनी रूप से स्वामित्व को प्रमाणित करता है |
जब भी आप किसी ज़मीन/प्रॉपर्टी को खरीदने जाएँ, तो आपको उस ज़मीन के सर्किल रेट और स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का पता कर लेना चाहिए | क्योंकि यह सभी राज्यों या शहरों में अलग-अलग हो सकता है | वर्तमान में स्टाम्प ड्यूटी 5% से 7% तक हो सकती है और पंजीकरण शुल्क एक प्रतिशत तक हो सकता है | स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का निर्धारण सरकार द्वारा तय किए गए ज़मीन/प्रॉपर्टी के सर्किल रेट के आधार पर होता है, जो कुछ विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करता है |
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स्टाम्प ड्यूटी 4 कारकों पर आधारित हैं
1. प्रॉपर्टी की आकार: स्टाम्प ड्यूटी का मान आमतौर पर प्रॉपर्टी की आकार पर भी निर्भर करता है। बड़ी प्रॉपर्टी पर अधिक स्टाम्प ड्यूटी लागू की जाती है |
2. स्थान: स्टाम्प ड्यूटी का निर्धारण प्रॉपर्टी के स्थान के आधार पर भी किया जा सकता है | उदाहरण के लिए, शहरी क्षेत्रों में अधिक स्टाम्प ड्यूटी हो सकती है बनावटी क्षेत्रों के मुकाबले |
3. संपत्ति के प्रकार: निर्धारण में प्रॉपर्टी के प्रकार का भी महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है | उदाहरण के लिए, निवासी प्रॉपर्टी और वाणिज्यिक प्रॉपर्टी के बीच में स्टाम्प ड्यूटी में अंतर हो सकता है |
4. आर्थिक स्थिति: कई बार स्टाम्प ड्यूटी का निर्धारण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर भी आधारित होता है | यह इस तरह के कारकों के माध्यम से लागू किया जा सकता है कि कितनी स्टाम्प ड्यूटी की जाएगी |
भारत के सभी राज्यों में लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी की लिस्ट
राज्य | स्टाम्प ड्यूटी |
आंध्र प्रदेश | 5% |
अरुणाचल प्रदेश | 6% |
असम | 8.25% |
बिहार | 5.7% To 6.3% |
छत्तीसगढ | 5% |
गोवा | 3.5% To 5% |
गुजरात | 4.9% |
हरियाणा | 4 To 8% |
हिमाचल प्रदेश | 5% |
जम्मू और कश्मीर | 5% |
झारखंड | 4% |
कर्नाटक | 5% |
केरल | 8% |
मध्य प्रदेश | 5% |
महाराष्ट्र | 6% |
मणिपुर | 7% |
मेघालय | 9.9% |
मिजोरम | 9% |
नगालैंड | 8.25% |
ओडिशा | 4% To 5% |
पंजाब | 6% |
राजस्थान | 4% To 5% |
सिक्किम | 4% To 9% |
तमिलनाडु | 7% |
तेलंगाना | 5% |
त्रिपुरा | 5% |
उत्तर प्रदेश | 7% |
उत्तराखंड | 3.75% To 5% |
पश्चिम बंगाल | 6% To 7% |
बैंगलोर | 2% To 5% |
दिल्ली | 4% To 6% |
मुंबई | 3% To 6% |
चेन्नई | 1% To 7% |
कोलकाता | 5% To 7% |
Stamp Duty and Registration Charges FAQs.
Q. स्टाम्प ड्यूटी क्या होती है?
A. स्टाम्प ड्यूटी एक प्रकार का कर है जो संपत्ति या प्रॉपर्टी की खरीद पर लागू होता है | यह सरकारी दस्तावेज़ों पर लागू होता है जैसे कि खरीदनामा, अधिनियमनामा, विक्रय पत्र, आदि |
Q. पंजीकरण शुल्क क्या होता है?
A. पंजीकरण शुल्क संपत्ति के पंजीकरण के लिए देय शुल्क है | जब आप संपत्ति को अपने नाम पर पंजीकृत करवाते हैं, तो आपको इस शुल्क का भुगतान करना होता है |
Q. स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क कैसे निर्धारित होते हैं?
A. स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का निर्धारण संपत्ति के मूल्य और स्थान के आधार पर होता है | इसमें राज्य सरकार के निर्देशानुसार विभिन्न प्रमाणपत्रों की दरों का उपयोग किया जाता है |
Q. क्या स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में छूट हो सकती है?
A. हां, कुछ मामलों में स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में छूट या कमी हो सकती है | जैसे कि प्रदान किए गए सरकारी योजनाओं या विशेष समूहों के लिए |
Q. स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क कब और कैसे भुगतान किया जाता है?
A. स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क को संबंधित राजस्व विभाग के कार्यालय में नकद या ऑनलाइन माध्यम से भुगतान किया जा सकता है |
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